इंसान की बुद्धि पशु से भी बदत्तर है
एक संग्रहालय है यह इन्सानी दिमाग,
जिसमें होते हैं लाखों विचार,
सुविधानुसार वह उनका प्रयोग करता है,
एक बात यह भी है कि,
दो मनुष्यों की विचारधारा एक सी नहीं होती है।
हाँ, हर मनुष्य के पास एक पुस्तकालय है,
जिसमें मौजूद होती है हजारों पुस्तकें,
इच्छानुसार वह उनको पढ़ता है,
यही कारण है कि इंसान,
पढ़ नहीं पाता है दूसरे के दिमाग को।
हमसे तो बेहतर पशु हैं,
जिनमें नहीं होता वैचारिक मतभेद,
चाहे उनके पास नहीं होता है,
कोई पुस्तकालय और संग्रहालय,
मगर उनकी अभिव्यक्ति एक ही है,
हमारी तरहां उनमें अभिव्यक्ति विभाजन नहीं है।
अगर होता ऐसा इंसान भी,
होते नहीं जमीं पर नरसंहार,
ऐसे पाप इस वसुंधरा पर,
और लगता भी यही है शायद,
इंसान की बुद्धि पशु से भी बदत्तर है।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)