Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jul 2017 · 2 min read

इंसान कबसे खाओगे? (मांसाहार पर दो टूक -भाग 1)

अपनी जीभ के स्वाद के लिए मूक और निरीह जानवरों को जो अपना निवाला बनाते हैं, मैं पूछता हूँ, इंसानों की बारी कब आ रही है? एक दर्द से कराहते हुए जानवर की गर्दन पर आरी चलाते समय तुम्हे तनिक भी दर्द नही होता है, होगा कैसे , सवाल तुम्हारी जीभ का हैं। मांस भले ही गाय का हो या किसी अन्य जीव का, मांस तो मांस हैं। मेरा मानना हैं कि मात्र गाय के मांस पर ही सियासत क्यों? गाय को तो माता का वास्ता दे दिया लेकिन बाकि अन्य जीवों की सुध कोन लेगा? क्या उनके लिए कोई कानून नहीं? क्या इंसानों की तरह उन्हें दर्द नही होता? लेकिन मनुष्य ने अब तक आदिम सभ्यता का पीछा नही छोड़ा हैं। मांस खाना आदिमानव की मज़बूरी थी। लेकिन अब भी इसे स्वाद के साथ जोड़ा जाता हैं। मांसाहार इंसान को बर्बर बनाता हैं। जंगली बनाता हैं। इसे समझना चाहिए। मांसाहारी कभी शाकाहारीयों को जीतने नहीं देंगे , क्योंकि संख्या में वे शाकाहारियों से बहुत ज्यादा है, तो भी सच बदलता नहीं हैं। मैं कहता हूँ मांस खाना इसलिए मत छोड़िये की आपके शरीर के लिए यह सही नही है, बल्कि इसलिए छोड़िये की इससे किसी मूक प्राणी की निर्मम हत्या जुडी होती हैं। भला जानवरों को मौत के घाट उतारना ये भी कोई धंधा हैं, दुनिया में और लोग भी कमा रहे हैं । क्या मासूम जानवरों की हत्या भी कोई व्यवसाय हुआ! जीभ के लिए इंसान किस हद तक गुज़र रहा है, देखकर और सुनकर कलेजा मुह को आता हैं। ऐसे में इन वहशियों से दया के नाम पर केवल प्रार्थना की जा सकती हैं कि वे ऐसा ना करे। खून का ऐसा सैलाब न बहाये। अगर ये ना रुका तो जल्द ही वो दिन दूर नही जब इंसान, इंसान को अपना ग्रास बनायेगा ये सच हैं। विश्व में कुछ जगहों पर ये हो भी रहा है। जो बेहद निंदनीय हैं। भगवान के नाम पर ना सही, नैतिकता और अहिंसा के नाम से ही सही, हमें मांसाहार बन्द करना चाहिए। आज और अभी से।
इस विषय पर मैं आगे भी बेबाक लिखता रहूँगा । मेरा अगला लेख जरूर पढ़े।

-साभार
©नीरज चौहान

Language: Hindi
Tag: लेख
436 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हमें अलग हो जाना चाहिए
हमें अलग हो जाना चाहिए
Shekhar Chandra Mitra
त्याग
त्याग
Punam Pande
मां से ही तो सीखा है।
मां से ही तो सीखा है।
SATPAL CHAUHAN
एक ऐसा दोस्त
एक ऐसा दोस्त
Vandna Thakur
विषय तरंग
विषय तरंग
DR ARUN KUMAR SHASTRI
स्वतंत्रता
स्वतंत्रता
Shashi Mahajan
"प्रपोज डे"
Dr. Kishan tandon kranti
उसने सिला हमको यह दिया
उसने सिला हमको यह दिया
gurudeenverma198
नए साल का सपना
नए साल का सपना
Lovi Mishra
Below the earth
Below the earth
Shweta Soni
अगर भटक जाओगे राहों से, मंज़िल न पा सकोगे,
अगर भटक जाओगे राहों से, मंज़िल न पा सकोगे,
पूर्वार्थ
जीते जी होने लगी,
जीते जी होने लगी,
sushil sarna
संवादरहित मित्रों से जुड़ना मुझे भाता नहीं,
संवादरहित मित्रों से जुड़ना मुझे भाता नहीं,
DrLakshman Jha Parimal
भावनाओं की किसे पड़ी है
भावनाओं की किसे पड़ी है
Vaishaligoel
रातों में यूं सुनसान राहें बुला रही थी,
रातों में यूं सुनसान राहें बुला रही थी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"आधुनिक नारी"
Ekta chitrangini
ये कैसी दीवाली
ये कैसी दीवाली
Satish Srijan
*आशाओं के दीप*
*आशाओं के दीप*
Harminder Kaur
सुबह-सुबह की लालिमा
सुबह-सुबह की लालिमा
Neeraj Agarwal
3951.💐 *पूर्णिका* 💐
3951.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ये जीवन अनमोल है बंदे,
ये जीवन अनमोल है बंदे,
Ajit Kumar "Karn"
🙅अंधभक्ति की देन🙅
🙅अंधभक्ति की देन🙅
*प्रणय*
याद हम बनके
याद हम बनके
Dr fauzia Naseem shad
पूरा कुनबा बैठता, खाते मिलकर धूप (कुंडलिया)
पूरा कुनबा बैठता, खाते मिलकर धूप (कुंडलिया)
Ravi Prakash
अतीत - “टाइम मशीन
अतीत - “टाइम मशीन"
Atul "Krishn"
इश्क इवादत
इश्क इवादत
Dr.Pratibha Prakash
राना लिधौरी के बुंदेली दोहा
राना लिधौरी के बुंदेली दोहा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आजादी  भी अनुशासित हो।
आजादी भी अनुशासित हो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
कसम खाकर मैं कहता हूँ कि उस दिन मर ही जाता हूँ
कसम खाकर मैं कहता हूँ कि उस दिन मर ही जाता हूँ
Johnny Ahmed 'क़ैस'
खालीपन
खालीपन
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
Loading...