इंसान इंसानियत को निगल गया है
इंसान इंसानियत को निगल गया है
स्वार्थ के खातिर अपनों को ही छल गया है
पत्थर से कर दुआ, मांगता है रहम
अब रंग इंसान का भी बदल गया है
इंसान इंसानियत को निगल गया है
स्वार्थ के खातिर अपनों को ही छल गया है
पत्थर से कर दुआ, मांगता है रहम
अब रंग इंसान का भी बदल गया है