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17 Feb 2021 · 1 min read

इंसानों कों पहचानने में कच्ची हैं तेरी आंखें

इंसानों कों पहचानने में कच्ची हैं तेरी आंखें
तीन साल की मासूम बच्ची हैं तेरी आंखें

कोई बनावटी अंदाज नही उतरता इनमें
तुझसे तो सौ गुना अच्छी हैं तेरी आंखें

खुदा की कसम कितनी बडी़ झुठी है तू
कसम से यार कितनी सच्ची हैं तेरी आंखें

तमाम झुठ तमाम सच फिर भी हैं मासूम
तू तो होगई जवान मगर बच्ची हैं तेरी आंखें

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