इंसानियत
इंसान इंसानियत से अब रूबरू हो जाये ।
ये सिलसिला भी काश के शुरू हो जाये।
हँसने हंसाने का दौर फिर हर आँगन में हो,
थकन को ओढ़कर चादर में गुरुर सो जाये।
-सिद्धार्थ पाण्डेय
इंसान इंसानियत से अब रूबरू हो जाये ।
ये सिलसिला भी काश के शुरू हो जाये।
हँसने हंसाने का दौर फिर हर आँगन में हो,
थकन को ओढ़कर चादर में गुरुर सो जाये।
-सिद्धार्थ पाण्डेय