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18 Oct 2017 · 1 min read

इंसानियत सदियों का सम्मोहन तोड़ सकती है,

**न जाने इंसानियत कब ?
हिंदू, मुस्लिम, सिख,ईसाइयत से बाहर आएगी,

न जाने क्यों ?
कौम का गदला पानी,
बार-बार निथर कर भी,
क्यों गदला हो जाता है ?

न जाने क्या ? कह गए हमारे,
अल्लाह, मसीह और भगवान,
या
जो समझ नहीं पाया आज का ये इंसान,

इस पथ पर न जाने क्यों ?
इंसान इंसान का बैरी है,
हो उजाला बाहर कैसे ?
जब अंतस में अंधकार घनेरा हो,

डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 213 Views
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