इंसानियत के का़यदे से तो सोचो?
इंसानियत के का़यदे से तो सोचो?
वो ग़रीब ही नहीं बेबस लाचार भी है?
माना की मैले फटे कपड़े मे है? तो क्या?
गले ना मिलो फिर भी थोड़ी इज्ज़त तो दे दो?
शायर- किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)
इंसानियत के का़यदे से तो सोचो?
वो ग़रीब ही नहीं बेबस लाचार भी है?
माना की मैले फटे कपड़े मे है? तो क्या?
गले ना मिलो फिर भी थोड़ी इज्ज़त तो दे दो?
शायर- किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)