इंसानियत की बात
इंसानियत की बात
जल रहा है देश मेरा
प्रेम का राग तो छेड़ो
मिटाओ बैर का भाव
अमन का राग तो छेड़ो
नही संवरेगा कल अपना
लड़ा करेंगे जो आपस में
बढ़ाओ हाथ आपस में
बंधुत्व का राग तो छेड़ो
एक ही घाट है अपने
कौन शेर है बकरी कैसी
भुलाकर बातें नफरत की
उल्फत की बात तो छेड़ो
डाल कर फूट आपस में
राष्ट्र को बांट डाला है
बनाना है राष्ट्र फिर एक
एकता का विचार तो छेड़ो
गवाह हैं तारीखें भी, हमारे
मौका परस्त कारनामों की
बचाना है राष्ट्र को तो
इंसानियत की बात तो छेड़ो
संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्य प्रदेश
मौलिक और स्वरचित