इंसानियत का रिश्ता।
इंसानियत का रिश्ता होता है सबसे आला
इसे प्रेम ने है सींचा भावों ने इसको पाला ।
जीवन्त हों सभी जन, पावन सभी के हों मन
गुरवत खतम करें मिल ना रुग्ण हो कोई तन
निर्वल, विकल औ दुर्बल को सेवा भाव हो मन
ना कोई भूखा सोये, सबको मिले निवाला।
इंसानियत का रिश्ता होता है सबसे आला,
इसे प्रेम नें है सींचा भावों ने इसको पाला।
सब जाति धर्म खोवें और आत्मवत से होवें,
कोई भाषा भेदभाव का न होवे बोलबाला,
अज्ञानता तिमिर ये मिट जाये सब यहां से,
ऐसी कृपा करें हरि मिले ज्ञान का उजाला।
इन्सानियत का रिश्ता होता है सबसे आला,
इसे प्रेम नें है सींचा, भावों नें इसको पाला।
अनुराग दीक्षित