इंसानियत अभी जिंदा है
सुबह -सुबह माँ पापा चाय की चुस्की लेते हुए।आपस में बतिया रहे थे।रानी सयानी हो रही है।इसके लिए कोई घर वर देखो।
पिता जी ने कहा कोई बताए तो सही….मैं क्या गली गली ढोल पीटूँ…..तभी माँ कहती है ..”रानी के शरीर पर सफेद निशान भी हैं,कभी कभी मिर्गी के दौरे भी आ जाते हैं”….दोनों आत्ममंथन कर बहुत दुखी थे …”घर में सात बच्चे सामान्य परिवार…पैसे भी इतने ज्यादा नहीं…कि शादी जोर शोर से की जा सके…बेटी की कमियों को पैसे से ढक सके।”
ये सब बातें जब रानी के कान में पड़ी” बहुत दुखी हो सोच में पड़ गई
कैसे होगा ।”सब कुछ…घर में मन उड़ा उड़ा सा रहने लगा….अनेक प्रकार के विचार आने जाने लगे।
यही सोचती “घरवालों ने यदि लड़के वालों को वास्तविकता नहीं बताई तो….?तलाक हो जाएगा…या जलाकर मार देंगे…नहीं ..रानी.. भय भीत थी।
साहस कर माँ से कहा -“माँ जो भी लड़का देखो सब बात सच सच बता देना,बाद में कोई परेशानी न आए।….बेखक अपाहिज हो।
“मुझे खुशी से वैवाहिक जीवन व्यतीत करना है…आपस में विचार मिलते हो…”
बस इतना कहकर रानी दूसरे कमरे जाकर सुबक-सुबक कर रोने लगी।
अचानक डाकिए की आवाज आई।पिताजी ने उठकर पत्र ले लिया।जल्दी से आँसू पौंछकर घर के काम में लग गई…पिता पत्र पढ़कर माँ को सुना रहे थे…”रविवार को लड़केवाले रानी को देखने आ रहे हैं।”
“मारे घबराहट के बार- बार शौचालय में भागती।”
रविवार को लड़के वाले आगए सब कुछ पसंद आ गया।
पर किसी ने भी रानी के सफेद निशान के बारे में नहीं पूछा ना ही घरवालों ने जिक्र किया।रानी को अंदर से डर लग रहा था…पर अपना मुँह नहीं खोला।
कुछ दिन बाद मेरे होने वाले ससुर जी के फोन आया नवरात्रि में गोद भरने आ रहे हैं।”अब तो रानी को और घबराहट होने लगी.”…पापा की डायरी से चुपचाप लड़केवालों का फोन नम्बर लिया।एस.टी. डी.से फोन किया ।
किस्मत ने साथ दिया..होने वाले पति (राघवेन्द्र)से बात हुई…”मैंने कहा हम एक बार आपसे मिलना चाहते है”..सहमति जताते हुए ठीक है, अगले महीने व्यापार के काम से दिल्ली आता हूँ…अनेक बार आने का वादा किया …पर हम मिल न सके।रानी के मन की बात मन में ही रह गई….गोद भराई…शादी सब हो गई।
विदा के समय माँ मिलकर रोने लगी..रानी ने स्वयं को मजबूत करते हुए माँ से कहा…..आपने अपना फर्ज पूरा किया लेकिन आपने असलियत नहीं बताई…अब यदि लड़के ने मुझे रखने से इन्कार किया तो “रानी न ससुराल रहेगी..न मायके..सारे जहान में कहीं भी अपना शरीर विलीन कर देगी।”
माँ को अपनी गलती का अहसास था…. पर बेटी को विदा जो करने था।
चौथी की विदा तक माँ देवी देवता मनाती रही।
अंत में सुहाग रात आई बहुत खूब सूरत कमरा सजाया..सब तरफ कुछ कुछ कार्यक्रम की तैयारियाँ चल रहीं थी ।रीति रिवाज संग परिवार वालों ने मुझे अपना कमरा सौंपा दिया।रानी और रानी के पतिदेव…हमारे बीच बहुत सी पारिवारिक बातें हुई…फिर मैंनें लजाते शर्माते हुए रानी ने अपनी चोंच खोली…
देखिए आदरणीय क्षमा करें …जो बिचोलिया था पता नहीं उसने मेरे बारे में आपको क्या बताया क्या न बताया मुझे नहीं पता…साथ ही मेरे माता-पिता ने भी नहीं बताया…मैंने भी आपसे मिलने का प्रयास किया पर मिलन न हो सका…अब बात ये है -“मेरे शरीर पर सफेद निशान हैं।पति बोले तो….फिर मैंने कहा …..आपको सही लगे तभी आगे कदम बढ़ाना”..पति कहते अन्यथा…रानी का जवाब… “मैं चली जाऊँगी।”
“पति ने मेरे पीछे से आकर बाहुपाश में बाँधकर कहा”…. “अजी रानी साहिबा अगर शादी के बाद कोई परेशानी हो जाए” तब आदमी क्या करेगा???
तुम बिना वजह इतना परेशान हो रही हो।
सच इनका इतने बोलना था रानी की आँखों से अश्रु बहने लगे यह सोच कि दुनिया में इंसानियत अभी जिंदा है। खुशी से रानी ने पति के चरण पकड़ लिए और कहा मुझे ऐसे ही पति की तलाश थी जो मुझे और मेरे विचारों को समझ सके।धन्य हुई रानी।