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30 Dec 2024 · 1 min read

इंद्रियों की अभिलाषाओं का अंत और आत्मकेंद्रित का भाव ही इंसा

इंद्रियों की अभिलाषाओं का अंत और आत्मकेंद्रित का भाव ही इंसान को महापुरुष बना देती है और वो शुद्र इंसानों में भी पूजनीय और भगवान का दर्जा पा जाता है।
इंसान के कर्म ही उसे सात्विक तामसिक और सात्विक मार्गों की तरफ ले जाते है।
RJ Anand prajapati

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