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2 Dec 2016 · 1 min read

इंद्रधनुष और तुम

कविता
इंद्रधनुष और तुम

*अनिल शूर आज़ाद

एक लंबे
अन्तराल के बाद
आज/आसमान पर
इंद्रधनुष/दिखा है
(हालांकि/इस बीच
बिना इंद्रधनुष के/बारिश
कई बार/हो चुकी है)

अज़ब संयोग है
रोज/तुम्हारी याद
आते रहने के बावजूद
तुम भी/स्वयं
आज ही/आई हो

इसलिए/यों ही
एक ख़्याल
आता है कि

अब मैं/इंद्रधनुष को
छू सकता हूं।

(रचनाकाल : वर्ष 1987)

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 499 Views

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