इंद्रदेव समझेंगे जन जन की लाचारी
रोज ब रोज होते जा रहे
गर्मी के तेवर अति कड़क
लू की लपटें सुखा रही हैं
जीवों, जंतुओं का हलक
सूर्यदेव के ताप से विकल
हुए हर शहर,गांव के लोग
हाट-बाजारों में दोपहर में
दिखें सन्नाटे के ही संयोग
बिजली की आवाजाही से
हो जाते सब खासे परेशान
आपूर्ति बाधित होने पर वे
कोसें व्यवस्था को खुलेआम
ऐसे में जब उन्हें दिखता है
कभी बादलों भरा आकाश
उनके मन को दिलासा देता
प्रकृति का बदलाव अनायास
मेघों से फुहारों की राह तक रहे
बुंदेलखंड के सब नर औ नारी
उम्मीद संजोए बैठे कि इंद्रदेव
समझेंगे जन जन की लाचारी
जरूरतों के लिहाज से क्षेत्र में
जल की उपलब्धता बहुत कम
जल प्रबंधन की खामियां कर
देती अधिकांश की नाक में दम
जल संरक्षण और प्रबंधन को
लेकर जरूरी सघन अभियान
ताकि जल को व्यर्थ न बर्बाद
करें क्षेत्र के सभी आम इंसान