इंतजार
चाँद का जब धीरे- धीरे
आसमान के एक छोर पर
उभरते हुए दीदार होता है
तो दूसरे छोर से
उसे ताक रही दो आँखे
किसी अपने के एतबार में
अक्सर धूंधला जाती है
और जब चाँद
बादलों के पीछे छिपकर
तांका झांकी करता है
तो इंतजार
बादलों से भी घना
रात से कहीं ज्यादा गहरा
अंधा सफर हो जाता है