इंतजार
माना गुजारे साथ सुखद पल
जिये कि जन्नत नशीन हो गये
कशिश एक दूजे मे खो जाना
वजहें ही कराती तेरा इंतजार
खुशनुमा माहौल वस्ल की रात
तेरा मुस्कुराना अदाओं मे बात
खुद को हार बैठा तुम भी हारीं
अब तन्हाई है औ तेरा इंतजार
क्यों ? चले गये कहते तो कुछ
खतावार नही था मैं न थी तुम
लौट आओगी ये भी नही कहा
फिर भी कर रहा तेरा इंतजार
क्या याद तुम्हे नही आती
क्या बेचैनी तुम्हे नही सताती
मिलन की आश हो दोनो मे
तभी भाता है करना इंतजार
बहुत किया अब और नही
मुझसे न होगा तेरा इंतजार
स्वरचित मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल
‘साहित्य बोध’ दिल्ली द्वारा आयोजित प्रतियोगिता मे पुरस्कृत
प्रकाशित ‘अभ्युदय’