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3 Nov 2021 · 1 min read

इंतजार करती है मां

घर वापस आने में, हो जाती पल भर भी देर
बेचैन हो जाती है मां
पूछती है सवाल इतने
सांस भी नहीं लेती है मां
चंद सेकंड को भी , घंटे में बदल देती है मां
सांजोकर समान को बड़े , हिफ़ाज़त से रखती है मां
बेटी की खुशियों में ही ,
अपनी ख़ुशी ढूंढ लेती है मां
पीले हांथ देख बेटी को,
फफक कर रो पड़ती है मां
अपने कलेजे के टुकड़े को
जाने कैसे भेज देती है मां
सच ही है उसूलों के कारण
बेबस हो जाती है मां ।।

✍️ रश्मि गुप्ता @ Ray’s Gupta

Language: Hindi
1 Like · 4 Comments · 461 Views
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