#इंतज़ार_जारी
#इंतज़ार_जारी
■ कब निकलेंगे चूज़े…?
★ कब आज़ाद होगा कूलर…?
【प्रणय प्रभात】
मांगलिक आयोजनों व पारिवारिक समारोहों के कारण बीती 02 मई से 03 जून की रात तक लगातार यात्रा-प्रवास पर रहे। इस दौरान शिवपुरी, झांसी, भोपाल, सीहोर व उज्जैन में एक महीना व्यतीत करने के बाद जब तक श्योपुर वापसी हुई, गर्मी रौद्र रूप धारण कर चुकी थी।
अब पंखे से काम चलने वाला नहीं था, लिहाजा सर्दियों में उठा कर रखे गए कूलर की सेवा याद आई। छत के दरवाज़े के पास रखे कूलर को उतरवाने पहुंचे तो पाया कि कूलर की छत प्रजनन केंद्र बनी हुई है।
कूलर पर फोल्ड कर के रखे कपड़े के बैग पर दो अंडों के साथ कबूतरी विराजमान नज़र आई। जो अंडों की सुरक्षा को ले कर बेहद विचलित दिखी। हमने उसी समय तय किया कि जब तक अंडों से चूज़े बाहर आ कर उड़ने लायक़ नहीं हो जाते, कूलर अपनी जगह ही रखा रहेगा।
बीते 04 जून के इस वाक़ये के बाद आख़िरकार आज पुराने कूलर की मरम्मत करा कर गर्मी से राहत का इंतज़ाम करना पड़ा। अब इंतज़ार अंडों से चूजों के बाहर आने और बड़े होने का हमें भी है, कबूतरी की तरह। जिसके लिए दाने-पानी के नियमित बंदोबस्त के साथ-साथ सुरक्षा के प्रति एहतियाती क़दम भी ज़रूरी हैं।
असुरक्षा की आशंका तीन सदस्यीय उस श्वान-कुटुम्ब की वजह से है, जिनका डेरा छत तक जाने वाली सीढी के तीन घुमावों पर बना हुआ है। ग़नीमत की बात यह है कि खाने-पीने और चैन से आराम फ़रमाने वाले तीनों कुकुर छत के दरवाज़े तक कभी नहीं गए हैं। लिहाजा उन्हें अंडों या कबूतरी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। जो फ़िलहाल हमारे लिए भी राहत की बात है।
ईश्वर करे कि उन्हें इसका आभास हो भी नहीं। ताकि नन्हे कबूतर भी गिलहरियों की तरह महफूज़ रहें। बहरहाल, अंडे नज़र और निगरानी के साथ निगहबानी में हैं और इंतज़ार बच्चों के बाहर निकलने का है। वो भी सकुशल व सुरक्षित। जय राम जी की।।