इंतज़ार
सुहाने दिन वही होंगे हसीं रातें वही होंगी
तेरे मेरे मिलने की बरसाते वही होंगी
ना आये तुम हमसे गर मिलने को
तो समझ लेंगे हम, किसी और से आँखें मिली होंगी
रहे हम भी तुम्हारे इंतज़ार में उम्र भर
पर तुमने भी किसी और से वफ़ाएँ की होंगी
दोष न तुम्हारा था न हमारा
ख़ुदा ने ही क़िस्मत में मुलाक़ाते कम लिखी होंगी