इंतकाल !
पटाखों के धूल में
भविष्य बुझ रहें
कोई एक ही झोंका
रुग्ण के कहें कौन
तू प्यासे हो…..?
आ जा बूझा लें।
वर्तमान है अब
पूर्ण विराम!
जानतें हो…?
शरीर बिकते हैं
जहाँ है पूर्ण बाज़ार
धुएं से हो रहे…
अब तो प्रेमी या प्रेयसी
सम्पूर्ण दुनिया
है अब इंतकाल!