इंटरनेट वाला प्यार
मैंने भी किसी से प्यार
किया था,
यहाँ नही सात समंदर पार
किय था।
चलती थी जब वो बर्निघम (इंग्लैंड)
की गलियों में,
दिल यहाँ (इंडिया) में मेरा धड़कता था।
उसकी इंग्लिश और मेरी हिंदी का नही
था मेल,
फिर भी चल रहा था हम दोनों के प्यार
का खेल।
मन में मेरे घी के लड्डू फूट रहे थे,
मिल गयी है वही जिन्हें हम ढूढ़ रहे थे।
उनकी यादों में दिन-रैन ख्वाब मैं
बुनता था,
वॉइस कॉलिंग से हर रोज बातें
करता था।
दिन- प्रतिदिन परवान पर था अपना
प्यार,
मजे से कट रहे थे जिंदगी के दिन चार।
गोरी मेम के प्यार में था इतना
मैं दीवाना,
भूल जाता था नहाना-धोना और खाना।
मेसेंजर पर दौड़ रही थी अपने प्यार
की गाड़ी,
व्हाट्सएप पर पूछता मैं कैसी हो तुम
प्यारी।
इंग्लैंड वाली मेम के प्यार में हो गया
था मैं पागल,
उनकी मखमली आवाज से हो गया
था मैं घायल।
मित्र-दोस्तों में बढ़ गयी थी मेरी साख,
विदेश वाली लड़की से करता है प्यार।
पहुँच गया मेरा प्यार जब चरम पर,
सोचा क्यों न प्रेयसी से बातें हो अब
वीडियो काल पर।
बड़ी सज्जनता से पूछा मैंने प्रिये
क्यों न हम वीडियो काल करें,
एक-दूजे से नैन मिला कर बात करें।
नही-नही आज नही कल करेगें,
यही सुन-सुनकर दिन बीत रहे थे।
आव न देखी ताव,
एक दिन मैंने कर दिया वीडियो काल।
पत्ते की तरह कांप गया
देख गोरी मेम को,
ठगा सा महसूस कर रहा था
मैं अपने को।
मेरे सारे सपने चकनाचूर हो गए,
जो ग़ज़ल लिखी थी सूखे पत्तों पर
गंगा जी मे बह गए।
गोरी मेंम समझ जिससे किया
मैंने प्यार,
वो निकला पंजाब का सरदार।
फ़ेसबुक, मेसेंजर, व्हाट्सएप पर
नही करना प्यार-
अपने-आप से किया ये वादा,
लड़की बनकर लड़के यहाँ देते सबकों
धोखा।
जो पड़े इंटरनेट वाले प्यार में
ठगे जावोगे,
फिर मुझसे न कहना आलोक बाद
में जब पछताओगे।
(स्व रचित)…….. आलोक पाण्डेय