इंजीनियर, लॉयर, एथलीट के बाद अब रॉयल ऑफिसर नरेंद्र ढिल्लों
सुशील कुमार ‘ नवीन ‘
वो एक बेहतरीन इंजीनियर है। बाल की खाल निकालने वाला बेहतरीन लॉयर है। बेहतरीन एथलीट है। पदक विजेता है। और क्या कहूं वो एक नायाब ऑफीसर है वो भी उस डिपार्टमेन्ट में, जिसके नाम से बड़े से बड़ा उद्योगपति, राजनेता, अभिनेता तक थर-थरा उठते हैं। वो नरेन्द्र है। हरियाणा के भिवानी जिले के एक छोटे से गांव ढाणी रिवासा से शुरू हुआ नरेंद्र ढिल्लों की कामयाबी का सफर सीबीआई पूर्वोत्तर कार्यालय गुवाहाटी (असम) तक जा पहुंचा है। पदोन्नति के बाद प्रशिक्षण पूरा कर नरेंद्र ने हाल ही में डीएसपी पद पर यहां ज्वाइन किया है।
भिवानी के तोशाम उपमंडल के एक छोटे से गांव ढाणी रिवासा का नाम राष्ट्रीय स्तर तक बार-बार ऊंचाइयों तक ले जाने वाले नरेन्द्र की यह कोई एक विशेष उपलब्धि नहीं है। इससे पहले भी कई बार वो ऐसा कार्य कर चुके हैं। पिता बस्तीराम ढिल्लों शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त मुख्याध्यापक है तो माताजी स्वास्थ्य विभाग से एएनएम के पद से सेवानिवृत्त है। बड़े भाई प्रदीप ढिल्लो पशुपालन पशुपालन विभाग विभाग में वेटरेनरी सर्जन (वीएस) के पद पर कार्यरत है।
कहावत है कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। माता-पिता चाहते थे कि एक बेटा डॉक्टर बने तो दूसरा इंजीनीयर। बड़े भाई वीएस बनने की राह पर चल पड़े तो छोटे नरेन्द्र ने इंजीनियरिंग की ओर अपने कदम बढ़ा लिया। कोटा से बारहवीं की पढ़ाई के साथ-साथ आईआईटी की कोचिंग ली। आईटी से बीटेक कर कुछ महीने घरवालों का मान रखते हुए गुरुगाम की एक बड़ी कंपनी में अच्छे पैकेज पर नौकरी भी की। पर पंछी, नदिया, पवन, लहरों को कोई सरहद कभी बांध नहीं पाई है। इसी तरह नरेंद्र भी आईटी की नौकरी में अपने आप को ज्यादा समय नहीं बांध सके।
सोच लंबी थी, लक्ष्य ऊंचा था, सो गुरुग्राम से सीधा दिल्ली की राह पकड़ ली। सबसे पहले दिल्ली विश्वविद्यालय में एलएलबी की पढ़ाई शुरू कर दी। यहीं रहते हुए प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी साथ में शुरू कर दी। परिणाम सकारात्मक ही रहे। इन तीन वर्षों में सीडीएस, आईबी, एसएससी सीजीएल, एफसीआई दिल्ली पुलिस, यूपीएससी सीएपीएफ जैसे दस से अधिक परीक्षाओं में सफलता पाई। दिल्ली पुलिस, असिस्टेंड कंमाडेंट, आईबी में बड़े पदों पर सलेक्शन को छोड़कर एसएससी सीजीएल के तहत सीबीआई में सब इंस्पेक्टर को राष्ट्र सेवा के लिए चुना।
सीबीआई में ही क्यों? इस बारे में नरेन्द्र की अपनी एक विशेष सोच थी। वो बताते हैं कि जब वो कक्षा नौ में थे, उस समय एक सोशल इश्यू के चलते उनके समूचे परिवार को पुलिस ज्यादती का शिकार बनना पड़ा था। पांच-छ दिन का वह समय उनके लिए बड़ा ही असहनीय रहा। उसी दौरान उन्होंने सोच लिया था कि उन्हें हर हाल में एक बड़ा पुलिस ऑफीसर बनना है। बालमन का वह संकल्प 2015 में सीबीआई में सब इंस्पेक्टर बन पूरा करना शुरू किया, जो आज भी लगातार कदम-दर कदम आगे सफलता के पायदान पर चढ़ता जा रहा है। हाल ही में अखिल भारतीय स्तर पर यूपीएससी द्वारा आयोजित सीएपीएफ एक्जाम में ऑल इन्डिया रैंकिंग में छठा स्थान प्राप्त कर डीएसपी (उपपुलिस अधीक्षक) पद पर चयनित होने का गौरव प्राप्त किया है।
सवाल वो जिसका जवाब सबको हैरान कर गया
यूपीएससी के साक्षात्कार पैनल द्वारा नरेंद्र से पूछे गए एक सवाल का बेहतरीन जवाब प्रभावित करने वाला रहा। पैनल सदस्य ने उनके प्रोफाइल को पढ़कर जो सवाल किया, एकबारगी नरेन्द्र को भी हैरान कर गया। उन्हें कहा गया कि एक इंजीनियर जो लॉयर की पढ़ाई कर रहा है, और जो एक पुलिस ऑफीसर बनना चाहता है। क्या यह देश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए खतरनाक साबित नहीं हो सकता ? इस प्रश्न का जो जवाब नरेन्द्र ने सरल भाव से जिस तरह दिया साक्षात्कार पैनल सदस्य भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके।
उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग मुझे बैकग्राउंड इन्वेस्टीगेशन में सहायक साबित होगी। हर एक तथ्य को बारीकी से खोलकर देखने का साहस देगी। रिवर्स इजीनियरिंग से मुझे तह तक सोचने का जज्बा मिलेगा। रही बात कानून की पढ़ाई की। इससे मुझे कानून के पालन का और संबल प्राप्त होगा। अपनी डयूटी में वफादारी से कानून का पालन करूंगा। ऐसे में पुलिस ऑफीसर बनने में इससे कोई खतरा नहीं होगा, ये तो मेरी योग्यता और ड्यूटी रुपी संपदा को और बेहतर बनाने का कार्य करेंगे।
ये हैं नरेंद्र की अब तक की उपलब्धियां
1. 2012- दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर Air-5
2. 2013 – FCI (फूड कॉरपोरेशन ऑफ इन्डिया) मे GRADE 2nd में चयन
3. 2013- IB (इन्टेलीजेन्स ब्यूरो) में Acio2
4. 2014 CDS क्वालीफाई
5. 2015 CDS क्वालीफाई
6. 2014- UPSC CAPF में असिस्टैंड कमांडेंट AIR-64
7. 2015- SSCGGL में CBI SI सलेक्शन AIR-467
8. 2018- UPSC Civil क्वालीफाई
9. 2020 UPSC Pre main क्वालीफाई साक्षात्कार में चूके
10. 2023 UPSC LDCE में DSP CBI AIR-6
लेखक;
सुशील कुमार ‘नवीन‘, हिसार
96717 26237
लेखक वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार है। दो बार अकादमी सम्मान से भी सम्मानित हैं।