इंच भर!!
इंच है एक पैमाना,
चाहे कुछ भी हो नापना,
किन्तु बन गया है यह,
प्रतिष्ठा को आंकने का ,
एक अजीब सा नजराना।
हम एक इंच भी अपनी,
जमीन नहीं छोड़ते,
चाहे उसके लिए,
हैं अपने हाथ-पैर जोड़ते,
और तब भी ना माने कोई,
तो फिर नहीं हम उसे, यों ही हैं छोड़ते।
यह इतिहास है हमारा,
सहमति से सुलझे,
हर विवाद है जो हमारा,
और ना बने सहमति,
तो युद्ध से होगा,उसका निपटारा।
इधर आज कल चीन ने,
लेकर घुसपैठ का सहारा,
अपना कदम बढ़ा कर,
है पैर को पसारा,
नहीं हमें यह मंजूर,
तो किया हटने का इसारा।
पर मानता नहीं है,
यह कुटिलता को अपनी,
चाहे बात कर लो जितनी,
दिखाया है ऐंठ उतनी,
पड़ा नहीं है इसको,
किसी गुरु से पाला,
छीनता रहा है,
दीन-हीन का निवाला।
भारत को भी इसने,
ऐसा ही समझ डाला,
बताता है इसारे में,
युद्ध बासठ वाला,
नहीं है भान उसको,
अब नेहरु नहीं है, पंचशील वाला,
अठावन वर्ष बीत गए,
अब मोदी है,छप्पन इंच सीने वाला।
गर यंकी नही है उनको,
तो पाकिस्तान से ही पुंछ लो,
सर्जिकल से लेकर बालाकोट तक देख लो,
जब भी हनक उठेगी,फरमान कर देगा,
अपने से किए सलूक का,बदला अवश्य लेगा।
थोड़ी सी शर्म बाकी हो तो,
उस, पर भी गौर कर लेना,
पलकों पर बिठाया है,
झूले में झूलाया है,
जो उकसाने का काम किया तो,
धकियाने को भी ना हिचकेंगे,
इंच भर जमीन, अब यों ही नहीं देंगे।।