आ लौट के आजा घनश्याम
आ लौट के आजा घनश्याम,
तुझे तेरे सखा बुलाते है।
जब से तूने गोकुल है छोड़ा,
खाने को मिलता माखन थोड़ा।
मैया यशोदा बड़ी है उदास,
आकर मिटाजा उनकी प्यास।
बस कर ले तू उनका ध्यान,
आ लौट के आजा घनश्याम,
तुझे तेरे सखा बुलाते है।।
गैया तेरी बांट है जोहती
वे अब खाती नही पीती।
सूना बना है यमुना का किनारा,
लगता है अब कोई न हमारा।
रख लो उनका अब ध्यान
आ लौट के आजा घनश्याम,
तुझे तेरे सखा बुलाते है।।
सूना पड़ा है नन्द का महल,
यहां नही कोई चहल पहल।
यशोदा मैया जब दही बिलोती,
माखन निकाल तेरे लिए संजोती।
आ जाओ माखन खाने श्याम,
आ लौट के आजा घनश्याम,
तुझे तेरे सखा बुलाते हैं।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम