आ रे सुग्गा आ आ (बाल कविता)
आ रे सुग्गा आ आ
(बाल कविता)
आ रे कौआ आ आ
आ रे सुगा आ आ
आ रे मैना आ आ
आ रे बगरा तहूं आबि जो
चिड़ै चुनमुन सब आ आ
दौगा गौगी बौआ संगे खेलो जो
हे सुग्गा तूं बौआ के रोटी नै खैहियै
हम तोलो लै रोटी रखने छियौ.
है मैना आइ तूं कतअ रैह गेलही
हमर बौआ तोरा तकै छेलौ
आ रे बगरा जल्दी आबि जो
हमर बुच्ची कटोरी मे पानि रखने छौ
चिड़ै चुनमुन सब चूं चूं चीं चीं करै
हमला बौआ के कते नीक लगलै
आ सब मिल के खेलै जाइ जो
हे खेलाइत खेलाइत झगड़ा नै करै जाहियैं
आ रे सुग्गा आ आ
बौआ संगे खेलो जो.
कवि- डाॅ. किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)