आ..भी जाओ मानसून,
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आ..भी जाओ मानसून,
अब तेरे ही इंतजार….
रवि की तेज प्रकोप से,
ताप से जलता भू ;
शोर करे बरखा की !
वसुंधरा की आत्मा पुकार,
आ ..भी जाओ मानसून,
अब तेरे ही इंतजार….
जग में बरसाओ प्रीतम,
पेड़-पौधें है असहाय,
निहारते नीले गगन ;
प्यासे नीर की तलाश में,
पोखर,नदी या सरोवर;
शशि से मिलती थोड़ी राहत,
रैना जाईए हो परेशानी;
आ …भी जाओ मानसून,
अब तेरे ही इंतजार….
गौतम साव