“आ बैल मुझे मार”
“आ बैल मुझे मार”
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निकल चीन से आ गया , शहरों से अब गाँव।
तुम ठहरे घर में नहीं , न रुके कोविड पाँव।।
आ बैल मुझे मार की , अभिव्यक्ति चरितार्थ।
प्रतिदिन कोरोना बढ़े , मनुज भूल भावार्थ।।
इटली हालत देखके , करते आँखें बंद।
शत्रु स्वयं के और के , बनते देखे चंद।।
संभल जाओ तुम अभी , करो न थोड़ी देर।
जान बचे सब कार्य हों , वरना मिले अँधेर।।
जान हथेली पर रखे , करें रोग ईलाज़।
डॉक्टर हिम्मत देखिए , हरकत से आ बाज।।
भेड़ बकरियाँ झुंड में , चले अकेला शेर।
शेर बनोगे तुम अगर , कोरोना फिर ढ़ेर।।
प्रीतम यूँ बढ़ते रहे , हरदिन अगर मरीज़।
बढ़े लोकडाउन समय , खुले नहीं दहलीज़।।
❤?आर.एस.प्रीतम??