आ थू
आ थू !
-आचार्य रामानंद मंडल।
हे।सुनै छी।
कथि कहै छी।
एनी आउ न एगो बात पूछय छी।
बोलू कि कहय छी।
अंहा सभ माने कि औरत-लड़की सभ परपुरुष के देख के थूक कैला फेकय छियै।
धूत।इहो कहीं लोक पूछलकय हय।
हे बताउ न।हम जानै चाहे छी।अइ रिवाज के बारे मे।
त सुनू। कोनो आन पुरुष प्रेम से हृदय मे प्रवेश न करे के लेल।माने वोकर तिरस्कार करय छियै।वा हम अपन उत्पन्न मानसिक विकार के थूक देइ छियै।
हे हमरो एगो घटना याद आबय हय।
जहिया हम मिडिल स्कूल मे पढ़ैत रही त एगो लडिका एगो लड़की के पीछे पड़ल रहय। देखिये वोइ लडिका के देखते लड़की लोइया के लोइया थूक फेकत रहय।
दूनू एके जाति के रहय। दूनू पड़ोसी गांव के रहय।लड़िका धनिक घर के रहय आ लड़की सामान्य घर के।
बाद मे पता चलल कि दूनू के अरैंज मैरिज भे गेलय।
हे एगो आउर बात पूछूं।
हे एगो नव मतारी के देखलिय हय।अपना बच्चा के स्तनपानो करवैत रहय आ थूक थूकैबैत रहैय । एना कैला करैत रहैय।
हे।अपना बच्चा के अपना नजर से बचाबे के लेल।
हे।त अपनो बच्चा के अपना माय के नजर लग जाइ छैय।
हं हे।दिठियाइ जाइ छै।
हे।इ सभ मिथिला के टोना टोटका हय।
हे। रामचरित मानस , लाल दास कृत मिथिला रामायण आ चंदा झा कृत मिथिला भाषा रामायण के फुलवारी प्रसंग में एहन घटना के चर्चा त न हय। पहिले पहल सीता जब राम के देखय छथिन।त सीता राम से मोहित होय जा छथिन।परंच सीता त थूक न फेकय छथिन। परपुरुष राम के तिरस्कार त न करय छथिन।
तहिना कौशल्या, कैकेई आ सुमित्रा अपन नजर से बचाबे के लेल अपन पुत्र के त न थुक थुकेयेब छथिन।
हं।इ त ठीके कहय छियै।
हं।इ कुप्रथा बाद मे मिथिला मे जन्म ले ले होतैय।
आ थू।
@आचार्य रामानंद मंडल, सीतामढ़ी।