आ जाओ तुम पास हमारे, उड़कर मेरे ख्वाबों से
करते हो परेशान क्यूँ मुझको, आज फिर अपनें यादों से
आ जाओ तुम पास हमारे, उड़कर मेरे ख्वाबों से
बहते से जज्बात है अपनें, सपनो मे ही बात हुई
भरपूर है जो तन्हाई से, आज फिर ऐसी रात हुई
बेशक्त दुआयें सारी हैं, कुछ आस नही फरियादों से
आ जाओ तुम पास हमारे, उड़कर मेरे ख्वाबों से
तू है इक मृगनयनी सी, ये दिल तुझ पर आवारा सा
तू बहती सी मदमस्त नदी, मै जैसे तेरा किनारा सा
चल आसमान में रंग भरें, हम दोनों अपनें वादों से
आ जाओ तुम पास हमारे, उड़कर मेरे ख्वाबों से
मैं भागीरथ बन जाऊ, तुम गंगा मेरी बन जाओ