आ जरा लग भी जा गले
* आ जरा लग भी जा गले *
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**212 222 12 (ग़ज़ल)**
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आ जरा लग भी जा गले,
भूल सारे शिकवे गिले।
रात बीती दिन भी गये,
याद है क्या कब हमको मिले।
मुड़ न देखा पीछे हमें,
दूर हम से तुम थे चले।
हाल दिल चकनाचूर था,
टूट कर बिखरे सपने पले।
यार मनसीरत मनचला,
जब पटाखे बम भी जले।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)