आ चल साथी
आ चल साथी साथ चलते है
चल अब साथी साथ साथ चलते है,,
हमे अलग अकेला देख धूर्त छलते है,,
साथ रहें तो किसकी हिम्मत जो बोले,,
सांचे मैं तो सबके ही अक्स ढलते है,,
अब पता सब चल जायेगा मैदानों मैं,,
आस्तीन मैं जो साँप हमारी पलते है,,
हो जायेंगे एक हुँकार मैं सब निर्णय,,
जो अक्सर तारीखों तारीखों मैं टलते है
मनु मान लो बात हमारी एक बार तुम,,
जलने दो उनको जो एकता से जलते है
✍मानक लाल मनु,?