आ गये
नारिकेल और मृदु नीम के सहस्त्रों वृक्ष
देखे तो ये दृश्य मेरे चित्त में समा गये।
मन्दिरों का वास्तु यमदिशा में अलौकिक है
ग्राम मी वहाँ के मेरे मन को लुभा गये।
मेरे स्वागत को हुए तत्पर जो पञ्चतत्त्व
हर्ष के सघन घन उर मध्य छा गये।
देव देवियाँ समस्त मेरे अभिनन्दन को
स्वर्ग से उतर कर भूमि पर आ गये।।
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ