आ गये राजे महाराजे
चुनावी सरगर्मी मे अपनी राह बनाती कविता
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आज के राजे-महाराजे
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आ गये आज के
राजे-महाराजे
ढोल बजाते
सजा कर
अपने अपने खोमचे
ढेर सारे लेकर वादे
खटी मीठी बातें
बड़ी बड़ी उम्मीदें
दोना भर घोषणायें
कुछ बक़ाया हैं पिछली
गोया कि चुनांचे
हम हैं इस गली
के राजे
याचक बन आये
झोला फैलाये
पिछली बातें
भूल भी जाओ
सब कुछ ढल जायेगा
ये लो अपने अपने साँचे
आओ आओ
नारे ले लो
आओ आओ
वादे ले लो
पैसे ले लो
ऐसे ले लो
वैसे ले लो
खोमचा मेरा
सब कुछ बाँचे
पिछली बातें
तुम भी भूलो
हम भी भूलें
मेरे लिये बस
वोट दबा दो
ये लो कागज़
सब लिखा है
काग़ज़ी घोड़े भरे कुलाँचे
पाँच साल तक
कभी न फटके
अब घर घर
जा कर
पाँव पखारे
चाहे उनका
नाम न जाने
अब सारे हैं
मामे चाचे
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राजेश’ललित’शर्मा
३:४८
३-४-२०१८
स्वरचित