आ गया सावन,सजन घर नहीं आये –आर के रस्तोगी
आ गया सावन,सजन घर नहीं आये
क्या करू अब मै,मन कुछ नहीं भाये
भेजे उनको कितनी बार मैंने सन्देशे
हर बार हो गये मेरे सन्देशे अनदेखे
क्या करू मुझको कोई तो बतलाये
क्या करू मेरे सजन घर नहीं आये
पड गये झूले सजन मेरे नहीं आये
क्या करू मै,मुझे कोई तो समझाये
उमड़ घुमड़ कर कारे बदरा आये
सारे शाहर में ये खूब शोर मचाये
ऊपर से ये बिजरिया को चमकाये
गरज गरज कर मुझे ये सब डराये
डरावनी विरहणी अब ये कहाँ जाये ?
किसको वो अपने पास बुलाये
कोई तो मेरा ये डर भगाये
आ गया सावन पिया घर नहीं आये
क्या करू मै,मेरे मन कोई नहीं भाये
अब के सावन में शरारत मेरे साथ हुई
मेरा घर छोड़के सबके घर बरसात हुई
सारे शहर में बदरा आये मेरे घर न आये
तडफ तड़फ कर मेरा जिया अब घबराये
ऐसे मै क्या करू,मुझे कोई तो बतलाये
अबके सावन में पिया मेरे घर नहीं आये
क्या करू मै,अब कुछ मन नहीं मेरे भाये
बिता रहे सावन में सभी रंगीन राते
ऐसे मौसम में मै किससे करू बाते
अँधेरी है राते और सूनी है बरसाते
काटने को आ रही है ये खटखनी राते
कैसे काटू मै ये अपनी बरसाती राते
जाग जाग कर बिता रही ये मै राते
ऐसे में मुझे कोई दिलासा दे जाये
अँधेरी और डरावनी राते कट जाये
आ गया सावन,सजन घर नहीं आये
क्या करू मै,मुझे कोई मन नहीं भाये
आर के रस्तोगी