आ गया मौसम सुहाना
आ गया मौसम सुहाना…
आ गया मौसम सुहाना तुम नही आये मगर।
रह गया मन को मनाना तुम नही आये मगर।
कर रहे थे हम प्रतीक्षा हो खड़े उस राह में,
फिर वही झूठा बहाना तुम नही आये मगर।
जो हमारी ज़िन्दगी में अहमियत है आपकी,
था यही तुमको बताना तुम नही आये मगर।
रोशनी कहता रहा जिसको सभी से मैं यहाँ,
रह गया परदा उठाना तुम नही आये मगर।
हसरतें हँसने लगी थी रोज ‘राही’ रात में,
लग गया हँसने ज़माना तुम नही आये मगर।
डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’
(बस्ती उ. प्र.)