Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 May 2017 · 1 min read

आ अब लौट चले उस गाँव

आ अब लौट चले उस गाँव।
जहाँ माँ के आँचल की छाँव।।

करघा, आँगन बैठ के माँ,
सपने बुनती है बेटे तेरे।
जीवन के दिन चार रहे,
खुश, हर पहर सांझ सबेरे।
आ चले शहर से अपने गाँव।।
जहाँ माँ …………… छाँव।।

दादा-दादी पंती खातिर,
रहे है अपनी साँस सम्हाल।
आएगा नाती, पंती लेके,
तब गाँव मे होगी धमाल
आ चले खाट की ठाँव।।
जहां माँ ….. .. .. छाँव।।

पनिहारिन ले ठंडा पानी,
पनघट पर गीत गाती हैं।
सास बहू भी बन सहेली,
हर रश्म-रिवाज निभाती है।
आ चले पीपल की छाँव।।
जहाँ माँ …….. …. छाँव।।

उठ भुनसारे कुक्कड़ बोले,
श्वान भी वफादारी निभाता है।
हरा-भरा खेत, आँगन गाय,
देख, कृषक झूम गाता है।।
चल सुनने कौए की काँव।।
जहाँ माँ ……. ….. छाँव।।

संतोष बरमैया “जय”

Language: Hindi
548 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
#क्या_पता_मैं_शून्य_हो_जाऊं
#क्या_पता_मैं_शून्य_हो_जाऊं
The_dk_poetry
चाटुकारिता
चाटुकारिता
Radha shukla
नारी शक्ति का हो 🌹🙏सम्मान🙏
नारी शक्ति का हो 🌹🙏सम्मान🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
*जीवन में जब कठिन समय से गुजर रहे हो,जब मन बैचेन अशांत हो गय
*जीवन में जब कठिन समय से गुजर रहे हो,जब मन बैचेन अशांत हो गय
Shashi kala vyas
मा शारदा
मा शारदा
भरत कुमार सोलंकी
दिल को सिर्फ तेरी याद ही , क्यों आती है हरदम
दिल को सिर्फ तेरी याद ही , क्यों आती है हरदम
gurudeenverma198
"सावधान"
Dr. Kishan tandon kranti
ओ परबत  के मूल निवासी
ओ परबत के मूल निवासी
AJAY AMITABH SUMAN
मैं कितना अकेला था....!
मैं कितना अकेला था....!
भवेश
*खुलकर ताली से करें, प्रोत्साहित सौ बार (कुंडलिया)*
*खुलकर ताली से करें, प्रोत्साहित सौ बार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*अज्ञानी की मन गण्ड़त*
*अज्ञानी की मन गण्ड़त*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मेघ गोरे हुए साँवरे
मेघ गोरे हुए साँवरे
Dr Archana Gupta
ना ढूंढ मोहब्बत बाजारो मे,
ना ढूंढ मोहब्बत बाजारो मे,
शेखर सिंह
ये खुदा अगर तेरे कलम की स्याही खत्म हो गई है तो मेरा खून लेल
ये खुदा अगर तेरे कलम की स्याही खत्म हो गई है तो मेरा खून लेल
Ranjeet kumar patre
Almost everyone regard this world as a battlefield and this
Almost everyone regard this world as a battlefield and this
Sukoon
खोया हुआ वक़्त
खोया हुआ वक़्त
Sidhartha Mishra
क्या हुआ , क्या हो रहा है और क्या होगा
क्या हुआ , क्या हो रहा है और क्या होगा
कृष्ण मलिक अम्बाला
रुचि पूर्ण कार्य
रुचि पूर्ण कार्य
लक्ष्मी सिंह
आपने खो दिया अगर खुद को
आपने खो दिया अगर खुद को
Dr fauzia Naseem shad
सुख के क्षणों में हम दिल खोलकर हँस लेते हैं, लोगों से जी भरक
सुख के क्षणों में हम दिल खोलकर हँस लेते हैं, लोगों से जी भरक
ruby kumari
नफरतों से अब रिफाक़त पे असर पड़ता है। दिल में शक हो तो मुहब्बत पे असर पड़ता है। ❤️ खुशू खुज़ू से अमल कोई भी करो साहिब। नेकियों से तो इ़बादत पे असर पड़ता है।
नफरतों से अब रिफाक़त पे असर पड़ता है। दिल में शक हो तो मुहब्बत पे असर पड़ता है। ❤️ खुशू खुज़ू से अमल कोई भी करो साहिब। नेकियों से तो इ़बादत पे असर पड़ता है।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
व्यथा पेड़ की
व्यथा पेड़ की
विजय कुमार अग्रवाल
अपनापन
अपनापन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
।। रावण दहन ।।
।। रावण दहन ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
Ranjeet Shukla
Ranjeet Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
ਹਾਸਿਆਂ ਵਿਚ ਲੁਕੇ ਦਰਦ
ਹਾਸਿਆਂ ਵਿਚ ਲੁਕੇ ਦਰਦ
Surinder blackpen
संपूर्णता किसी के मृत होने का प्रमाण है,
संपूर्णता किसी के मृत होने का प्रमाण है,
Pramila sultan
* कुण्डलिया *
* कुण्डलिया *
surenderpal vaidya
■ आज का दोहा
■ आज का दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
ढलती उम्र का जिक्र करते हैं
ढलती उम्र का जिक्र करते हैं
Harminder Kaur
Loading...