आज़ाद गज़ल
उसकी महफिल से निकाला गया
कुछ इस तरहा मुझे संभाला गया ।
मैं तो डूब चला था इश्क़ में उसके
मुझे अच्छी तरह से खंगाला गया ।
आपको तरक्की मुबारक हो हुजूर
छिना तो गरीबों का निवाला गया ।
जिन हादसों में लोग जान गंवाते हैं
मुझे उन्हीं हादसों में है पाला गया ।
वक्त हमेशा से ही रहा मेरे खिलाफ
मेरे हर आज को कल पे टाला गया।
खुदा खुश है अपनी कामयाबी पे
था बला अजय जिसको टाला गया ।
-अजय प्रसाद