आज़ाद गज़ल
हुस्नोइश्क़ के अलावे है कुछ, तो सुना
हक़ीक़त क्या है दुनिया को भी बता ।
आशिकों की अक्ल आ गई है ठिकाने
न दिखी लैला और न कोई मजनूँ दिखा ।
दिल लगाते हैं ये अब दिमाग दुरुस्त कर
न करते वफ़ा हैं और न कहतें हैं बेवफ़ा ।
जब भी मौका मिलता हैं मिल लेते दोनो
न शिकवा है किसी से न कोई है गिला ।
प्यार कितना प्रैक्टिकल हो गया है यारों
हो गया प्यार उसी से जो वक्त पर मिला ।
यही खासियत है इस दौर के आशिक़ो में
भूला देता है उसको जो उसे नहीं मिला
-अजय प्रसाद