आज़ाद गज़ल
समस्याएँ अनगिनत , एक सरकार
जैसे नारंगी एक है और सौ विमार ।
सरकारी इन्तेजाम है इतना पुख्ता
कोरोना के आगे पुरा तंत्र है लाचार ।
कहीं पे बाढ़ और है कहीं अकाल
कहीं भुखमरी है कहीं बेरोजगार ।
गुस्से में है बंगाल,चिढ़ा है राजस्थान
रुठा है महाराष्ट्र , बिरह में है बिहार ।
खुश रखना राज्यों को नहीं आसान
कोई मान जाता है,कोई देता दुत्कार ।
पक्ष और विपक्ष हैं दो चक्की जिसमे
पिसी जाती है , बेबस जनता लाचार ।
सदियों से यही तो होता आया है यहाँ
कुछ अलग होगा सोचना ही है बेकार ।
छोड़ो अजय तुम फिक्र क्यों करते हो
लो पियो गर्म चाय और पढ़ो अखबार ।
-अजय प्रसाद