आज़ाद गज़ल
वक्त जब भी हिसाब मांगेगा
एक और इन्क़लाब मांगेगा ।
ओ ! गफ़लत में जीने वालों
तुमसे ही सारे जवाब मांगेगा ।
बचपन तो गुजारी बेफ़िक्री में
जवानी निंदओख्वाब मांगेगा ।
ईश्क़ जब होगा हद से ज्यादा
तो आशिक़ों से गुलाब मांगेगा।
क्यों खफ़ा हो अजय खुद से ही
कौन भला यूहीं अज़ाब मांगेगा ।
-अजय प्रसाद