आज़ाद गज़ल
पाती प्रेम भरी कोई लिखी ही नहीं
मुझे मेरे जैसी कोई मिली ही नहीं ।
इज़हार न इकरार,न किसी से प्यार
मेरी किस्मत में है आशिक़ी ही नहीं ।
फूलों की चाह में काँटे ही मिले यारों
मेरे तक़दीर में खुशकिस्मती ही नहीं ।
खुदा जाने क्या हुई है खता मुझसे
करता मुझ से कोई दोस्ती ही नहीं ।
खुश रहे खुदा मुझे नहीं कोई शिकवा
तेरे आगे किसी की भी चलती ही नहीं ।
-अजय प्रसाद