आज़ाद गज़ल
तोह्फ़े,तमगे,पैसे और पुरस्कार तू रख
मेरे हिस्से में बस लोगों का प्यार तू रख ।
इज़्ज़त,दौलत , शोहरत मेरे यार तू रख
बस उन आंखोँ में मेरा इन्तज़ार तू रख।
जा हो जा मक़बूल,कर ले हासिल मक़ाम
मगर मुझ पर रहम परवरदिगार तू रख।
भले न हो तेरी मुझ को कभी ज़रूरत
कम से कम मुझ पर इख्तियार तू रख ।
औकात अजय अपनी जानता है खूब
पालके भरम कोई चाहे हज़ार तू रख
-अजय प्रसाद