आज़ाद गज़ल
फ़ले फूले अमीर और गरीबों का भी गुजारा हो
डूबते हुए को कम से कम,तिनके का सहारा हो ।
हर तरफ चैन-ओ-अमन और महफ़ूज हो वतन
या खुदा अपने मुल्क मे एसा भी तो नजारा हो ।
ज़ुल्म मिटें,इल्म बढ़े,और हो हरकोई खुशहाल
मिल-जुलकर सब रहें यहाँ,दिल में भाईचारा हो ।
रोटी,कपड़ा और मकान,हो न्याय में सब समान
न कोई गरीब, न कोई बेबस, न कोई बेचारा हो ।
चाहे हो कोई दिन ,वार,पर्व या कोई भी त्योहार
रौशन हर मंदिर ,मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारा हो ।
-अजय प्रसाद