आज़ाद गज़ल
मौत का मज़ा तो चखना पड़ेगा
कर्म का फल तो भुगतना पड़ेगा ।
तोड़ना गर है दुनियाँ के रस्मो को
जिगर फौलाद का रखना पड़ेगा ।
चाहते हैं आप मंजिल को पाना
राहे दुश्वारियों से उलझना पड़ेगा ।
आसां नही है दिल को समझाना
खुद से खुद को ही लड़ना पड़ेगा ।
लो आ गई फ़िर अजय याद उनकी
अश्क़ों से अब वजु करना पड़ेगा ।
-अजय प्रसाद