आज़ाद गज़ल
बस केवल नाम से ही सरल है
हास्य-व्यंग्य का वो काजल है ।
दिखने में कुछ खास तो नहीं
मगर उगलता हमेशा गरल है ।
वाकिफ़ है अपनी औकात से
वयान बदलने में बड़ा चपल है ।
है गलती उसकी भी कोई नहीं
समर्थक रहते अगल बगल है ।
खामिया निकालने में है माहिर
खासियत बताने में बिरल है।
हैसियत उसकी तो पता नहीं
पर नमक हरामी में अव्वल है।
-अजय प्रसाद