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29 Aug 2020 · 1 min read

आज़ाद गज़ल

जमाना है अक़्सर उन्हें भूल जाता
जो राहों में सब के है कांटे बिछाता ।

भलाई भी तो हद से ज्यादा बुरी है
जहाँ झोंक आँखों में है धूल जाता ।

दग़ा दोस्त ही जब करें दोस्ती में
है जीगर में चुभ तब कोई शूल जाता ।

न हो बाग पे गर नज़र बागवाँ की
उदासी में मुरझा है हर फूल जाता ।

अजय अब तू भी भूल जा ये शराफ़त
भले को है समझा यहाँ शूल जाता ।
-अजय प्रसाद

Language: Hindi
4 Likes · 3 Comments · 205 Views
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