आज़ाद गज़ल
आशिक़ी मेरी सबसे जुदा रही
ज़िंदगी भर वो मुझसे खफ़ा रही ।
देखता मैं रहा प्यार से उन्हे
बेरुखी उनकी मुझ पर फिदा रही ।
ये अलग बात है उनके हम नहीं
वो हमेशा मगर दिलरुबा रही ।
रात भी, ख्व़ाब भी ,नींद भी मेरी
फ़िक्र तो उनके बश में सदा रही ।
जोड़ना दिल मेरी कोशिशों में थी
तोड़ना दिल तो उनकी अदा रही ।
वक्त के साथ वो भी बदल गए
वास्ते दिल में जिनके वफ़ा रही ।
क्या करें अब, अजय तू ज़रा बता
मेरी किस्मत ही मुझसे खफ़ा रही ।
-अजय प्रसाद