स्वदेश-प्रेम
शान तिरंगा देश की,सुनो लगा सब कान।
ऊँचा फहरे रोब से,यही देश का मान।।
खुद से बढ़कर देश हो,जाए चाहे जान।
खुद ही जलके सूर्य भी,रोशन करे जहान।।
जीत सुने जब देश की,होती ख़ुशी अपार।
कहते इसको यार हम,सच्चा देशी प्यार।।
हार सुने जब देश की,जलता दिल है ख़ूब।
सोचे दुश्मन ढ़ेर हो,मरे कहीं पर डूब।।
शहीद होते वीर जो,उनको सदा सलाम।
हारी बाजी जान की,रखा देश का नाम।।
शिक्षा-दिक्षा पाय के,बढ़िए पग तुम चार।
शिक्षित सभ्य लोग तो,ऊँचा देश अपार।।
समृद्धि शांति ओज के,प्रतीक रंग तीन।
गतिशीलता चक्र दे,ध्वज में सब हैं लीन।।
राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”
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