*आज़ादी अपना अर्थ खो रही*
हाँ भारत देश आज़ाद है
अंग्रेज़ों की गुलामी से
पर क्या कभी तोड़ पाए हम
खुद की बनाई बेड़ियों को
अपने रूढ़िवादी विचारों की
जंग लगी ज़ंजीरों को
क्या मिटा पाए हम आज भी
अपने दिलों की दूरियां
मरने काटने को तैयार हैं सब एक दूजे को
धर्म जाति के नाम पर
हाँ सही कहा भारत देश आज़ाद है..
संस्कारों की गर बात करें
जाने कहाँ संस्कृति लुप्त हुई
पाश्चात्य संस्कृति को अपनाकर
नई पीढ़ी अब समझदार हुई
हाँ हाँ भारत देश आज़ाद है
भ्रष्टाचार..रिश्वतखोरी..आरक्षण और बलात्कार..
सामाजिक बुराईयां चरम सीमा पर
असुरक्षा की भावना शीर्ष पर
हाँ सच में भारत देश आज़ाद है
आज़ादी अपना अर्थ खो रही
सामाजिकता अंतिम सांस ले रही
दिखावे की दुनियां में हम जी रहे
आत्मीयता जैसे दम तोड़ रही
हाँ भारत देश आज़ाद है
सिर्फ अंग्रेज़ों की गुलामी से
पर क्या कभी तोड़ पाए हम
खुद की बनाई बेड़ियों को
अपने रूढ़िवादी विचारों की
जंग लगी ज़ंजीरों को ©® अनुजा कौशिक