आख़िरी हम सफ़र…
जो खेल रचा हैं मैने…उसे खत्म करने आया हूँ!
जो रूप गढ़ा हैं मैने…उसे मिटाने आया हूँ!
आखिर खत्म होती हैं मेरी,इश्क़ की यह दुनिया!
ऐ मेरे आख़िरी हमसफ़र..मै तुझे भूलने आया हूँ!!
–सीरवी प्रकाश पंवार
जो खेल रचा हैं मैने…उसे खत्म करने आया हूँ!
जो रूप गढ़ा हैं मैने…उसे मिटाने आया हूँ!
आखिर खत्म होती हैं मेरी,इश्क़ की यह दुनिया!
ऐ मेरे आख़िरी हमसफ़र..मै तुझे भूलने आया हूँ!!
–सीरवी प्रकाश पंवार