आह
खुबाब पल भर का दिखा कर
इन्तजार सदियों का दे गई आँखे
खाई थी कसमे साथ निभाने की
बेवफाई कर गई सारी बातें ……
न दिल की दहलीज पर रखते वो कदम
न आज तन्हाईयों से कोई शिकवा होता..
न जाने कौन सी खता की यह
बे जुबाँ सी सजा दे गई आँखे…….
उन्हें रास आई मुहब्बत औरो की
आंसूं का समंदर हमें दे गई आँखे….
मिशा